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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

लालच ने सिखाया सबक

एक गांव में दो भाई रहते थे। बड़ा भाई अमीर और घमंडी था। जबकि छोटा भाई मेहनती, मगर गरीब था। लेकिन, बड़े भाई को उस पर बिल्कुल दया नहीं आती थी। एक बार दीपावली के दिन सभी के घर में रौनक थी। लेकिन छोटे भाई के पास कुछ नहीं था। इसलिए वह कुछ पैसे कमाने गांव के बाजार में जा रहा था। रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी मिला और उसने पूछा-′अरे भाई! आज तो दीपावली है, फिर तुम इतने उदास क्यों हो?′ छोटा भाई बोला किस बात की दीपावली साहेब, मेरे पास तो एक पैसा भी नहीं है? बूढ़े आदमी ने उसे मालपुआ देते हुए कहा कि इसे ले जाओ और जंगल में एक गुफा है, जहां तीन चोर रहते हैं। उन चोरों को ये मालपुआ देना और उनसे जादुई चक्की मांगना छोटे भाई ने वैसा ही किया और जादुई चक्की लेकर अपने घर लौट आया। छोटे भाई ने चक्की से दाल निकालने को कहा, तो चक्की से दाल निकलने लगी। इसी तरह उसने जो कुछ भी चक्की से कहा चक्की उसे दे देती थी और वह उसे बाजार में बेचकर अमीर हो गया। बड़ा भाई इस बात को देखकर जलने लगा और उसने वह चक्की चुरा ली। चक्की चुराकर वह अपनी पत्नी के साथ रात को ही गांव छोड़कर निकल गया। रास्ते में नाव से जाते हुए उसकी पत्नी ने पूछा कि आप अपनी सारी धन-दौलत छोड़कर भला क्‍यों जा रहे हैं? इस पर बड़े भाई ने कहा कि यह जादुई चक्की है, इससे जो कहो, वो मिलता है। बड़े भाई ने चक्की से नमक निकालने को कहा, तो लगातार नमक निकलने लगा। लेकिन, बड़े भाई को चक्की बंद करने का तरीका नहीं मालूम था। ऐसे में नाव नमक के भार से डूब गई और दोनों पति-पत्नी भी पानी में डूब गए । लालच बुरी बला है, किसी ने सही कहा है।